दीपावली पर कुछ खास प्रयोग, जो बदल देंगे आपके भाग्य की रेखायें

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दीपावली की रात का जप हजार गुणा फलदायी होता है

4 महारात्रियाँ हैं – दीवाली, शिवरात्रि, होली और जन्माष्टमी। ये सिद्ध रात्रियाँ कहलाती हैं व साधक के भाग्य की रेखा बदलने वाली रात्रियाँ हैं। अधिक से अधिक जप करके इन रात्रियों का लाभ उठाना चाहिए।

“दीपावली की रात्रि जप करने योग्य लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र :

दिवाली की रात कुबेर भगवान ने लक्ष्मी जी की आराधना की थी जिससे वे धनाढ्यपतियों के भी धनाढ्य कुबेर भंडारी के नाम से प्रसिद्ध हुए, ऐसा इस काल का महत्व है ।

रात्रि को दीया जलाकर इस सरल मंत्र का यथाशक्ति जप करें :

“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।”

लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गुरुदेव के श्रीचित्र पर विशेष तिलक

दीपावली के दिन लौंग और इलायची को जलाकर राख कर दें और उससे गुरुदेव (श्रीचित्र) को तिलक करें। ऐसा करने से लक्ष्मी प्राप्ति में मदद मिलती है और काम-धंधे में बरकत आती है।

सुख-सम्पत्ति की वृद्धि के लिए दो विशेष दीपक :

दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वें रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।

दीपावली की रात मंदिर में रात भर घी का दीया जलता रहे सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है।

. “आनंद व प्रसन्नतावर्धक नारियल-खीर प्रयोग :”

दीपावली की रात्रि को थोड़ी खीर कटोरी में डालकर और नारियल लेकर घूमना और मन में ‘लक्ष्मी-नारायण’ जप करना ; खीर ऐसी जगह रखना जहां किसी का पैर ना पड़े और गाय, कौए आदि खा जाएँ। नारियल अपने घर के मुख्य दरवाजे पर फोड़ देना और उसकी प्रसादी बाँटना। इससे घर में आनंद और सुख-शांति रहेगी।

“परिवार की तीनों तापों से रक्षा के लिए – कपूर :

दीपावली के दिन चाँदी की कटोरी में अगर कपूर को जलाएँ, तो परिवार में तीनों तापों से रक्षा होती है।

“प्रसन्नता एवं रोगप्रतिकारक शक्ति-वर्धक – तोरण :”

पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बंधते थे। अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है।
उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्षभर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है।
वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधकर इसका लाभ उठाएं।

“लक्ष्मी प्राप्ति हेतु तुलसी के निकट जलाएँ दीपक :”

दीपावली की सँध्या को तुलसी जी के निकट दीया जलाएँ, इससे लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है।

बाजारू मिठाईयों, कुरकुरे आदि से सावधान :”

मिठाईयों में शुद्ध बेसन व शुद्ध चीजों की बनी मिठाई शगुन समझकर थोड़ी बहुत खा लें लेकिन रसगुल्ले, मावा, पनीर से बनी मिठाईयाँ दूर से ही त्याग दें।
मावा, रसगुल्ला व बर्फी किडनी, हृदय, नाड़ीतंत्र एवं पाचनतंत्र को नुकसान पहुँचाते-पहुँचाते असमय बुढ़ापा और बुढ़ापे में ऑपरेशनों का शिकार बना देते हैं।
कुरकुरे आदि नमकीन में कुरकुरापन बढ़ाने के लिए बेसन के बदले चावल का आटा मिलाया जाता है, जो आँतों के लिए बहुत हानिकारक है।

“दीपावली के दिन अवश्य करें – सत्संग श्रवण :”

दीपावली, जन्म-दिवस और नूतन-वर्ष के दिन प्रयत्न-पूर्वक सत्संग सुनना चाहिए, विशेष लाभ होता है।

“अशोक एवं पीपल वृक्ष के नीचे जलाएँ दीपक :”

दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दीया जलाएँ, तो बहुत शुभ माना जाता है।
हर अमावस्या को (और दिवाली को भी) पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं और अच्छी आत्माएँ घर में जन्म लेती हैं।

“बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का पूजन :”

दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी-गणेश पूजन के साथ बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती जी का भी पूजन किया जाता है, जिससे लक्ष्मी के साथ-साथ आपको विद्या भी मिले। विद्या भी केवल पेट भरने की विद्या नहीं, वरन वह विद्या जिससे आपके जीवन में मुक्ति के पुष्प महकें।

“निरंतर आने वाले कष्टों के निवारण के लिए हवन :”

घर में कोई न कोई कष्ट हमेशा रहता हो तो डरें नहीं, हर अमावस्या को (दिवाली को भी) घर के लोग घी, चावल, काले तिल, जौ, गुड़, कपूर, गूगल, चंदन-चूर – इन आठ चीजों का मिश्रण बनाकर गाय के गोबर के कंडे पर ‘स्थान देवताभ्यो नमः, ग्राम देवताभ्यो नमः , कुल देवताभ्यो नमः’ मंत्रों की 5-5 आहुतियाँ दें।
इससे स्वास्थ्य ठीक होगा और पीपल काटने का दोष हो या किसी देवता का दोष हो, दुःस्वप्न, पितृदोष आदि कुछ हो गया हो तो रक्षा होती है।

“गरीबों की दुआएँ…दुर्भाग्य को बदलें सौभाग्य में :”

दीवाली के दिनों में गरीब बच्चों को एक-एक टुकड़ा मिठाई का बाँटकर आएँगे तो बच्चों की दुआ निकलेगी, वो दुआएँ अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देंगी।

“कच्चे आलू से करें पटाखों से जलने पर ईलाज :”

दीपावली के दिनों में पटाखे, दीये आदि से या अन्य दिनों में अग्नि से शरीर का कोई अंग जल जाए तो जले हुए स्थान पर तुरंत कच्चे आलू का रस लगाना व उसके चिप्स पीड़ित स्थान पर रखना पर्याप्त है।
उससे न फोड़ा होगा, न मवाद बनेगा, न ही मलहम या अन्य औषधि की आवश्यकता होगी।

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