putrada ekadashi 2025 : पुत्रदा एकादशी 2025 की पहली पहली एकादशी जाने शुभ मुहूर्त और तिथि

putrada ekadashi 2025 : नमस्कार मित्रों नए साल 2025 की शुरुआत होने वाली है. ऐसे में हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा माने जाने वाला व्रत एकादशी का आने वाला है. हिंदू धर्म में हर एकादशी को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसे में 2025 की पहली एकादशी विशेष बन जाती है. आगे जानते हैं 2025 की पहली औकात ऐसी पुत्र का एकादशी कब है. शुभ मुहूर्त और सही तिथि पंडित अनुपम शर्मा.

हिंदू धर्म में वैसे तो सभी एकादशी को बहुत ही महत्वपूर्ण मृत माना जाता है. लेकिन पुत्र का एकादशी खास तौर पर संतान प्राप्ति के लिए मानी जाती है. इसी के साथ परिवार में सुख शांति प्राप्त होती है जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं. उन्हें इस एकादशी के बारे में संपूर्ण जानकारी है. आपको बता दे की संतान प्राप्ति के लिए एक दिन व्रत रखा जाता है. सनातन धर्म के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वालों की हर मनोकामना पूर्ण होती है उन्हें संतान प्राप्ति का सुख होता है. आईए जानते हैं 2025 की पुत्रदा एकादशी की शुभ मुहूर्त शुभ तिथि और संपूर्ण जानकारी.

2025 की पहली पुत्रदा एकादशी व्रत

जैसा कि आप सभी को पता है हिंदू धर्म के व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार माने जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 2025 पुत्रदा एकादशी 9 जनवरी 2025 को सुबह 12:00 बजे को 3 मिनट से शुरू होकर इसका समापन 10 जनवरी 2025 को 10:20 पर होगा. इसी बीच पुत्र का एकादशी का व्रत किया जाएगा हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार हर व्रत और त्योहार को तिथि अनुसार ही रखा जाता है. इसलिए व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा इसी में व्रत की संपूर्ण विधि की जाएगी.

putrada ekadashi 2025

2025 की पुत्रदा एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में पुत्र का एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व माना वेरी इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है इसी के साथ भक्तों को संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है. किसी के साथ घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है जिन लोगों को संतान नहीं है उन्हें 2025 की पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए.

पुत्रदा एकादशी 2025 की व्रत कथा

दरअसल हर व्रत में व्रत के साथ-साथ विधि विधान से कथा भी सुनी जाती है पुत्र का एकादशी की कथा कुछ इस प्रकार है.

एक बार की बात है, राजा सुकंतुमान एक भी संतान न होने की वजह से काफी दुखी और चिंता में रहते थे। उन्हें हमेशा इसी बात का डर रहता था, कि अगर उनकी संतान ही नहीं हुई तो उनका वंश कैसे चलेगा। एक दिन उनकी मुलाकात एक महान ऋषि से हुई और उन्होंने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी।

राजा और रानी ने महान ऋषि की बातें मानी और पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और पालन भी किया। इस व्रत को लेकर कहा जाता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और संतान सुख की प्राप्ति भी होती है, ऐसा ही कुछ राजा रानी के साथ भी हुआ, पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने और श्रद्धा भाव से पूजा करने के बाद उनके घर में भी संतान सुख की प्राप्ति हुई।

निष्कर्ष

हमारे द्वारा दी गई जानकारी ऐसनातन धर्म में मान्यताओं के आधार पर बताई गई है. इसके शक्ति और सटीक होने का दवा श्री कृष्ण वाणी वेबसाइट नहीं करता है. इस बात के बारे में अधिक जानने के लिए आप पंडित अनुपम शर्मा उज्जैन से भी संपर्क कर सकते हैं हमने आपको उनके व्हाट्सएप नंबर प्रदान किए हैं.

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